Film script || फ़िल्म के कहानी कैसे लिखा जाता है ।। Bollywood movie script
Film script || हिंदी फ़िल्म स्क्रिप्ट ।। फ़िल्म के कहानी कैसे लिखा जाता है

“सिंदूर और अर्थी “
तीसरा सीन
स्थान – आरती गंगा को काम बता रही है । बर्तन एक और पड़ा हुआ है और गंगा बर्तन साफ कर रही है ]
आरती – गंगा तुम्हारे पति आज तक हमारे यहाँ काम किया । मुझे आज तक उनसे कोई शिकायत नही हुआ । गंगा- मालकिन मैं भी आपको कभी शिकायत का मौका नही दूंगी । आरती – गंगा मैं तुम्हारे दुख को समझ सकती हूं । पर आदमी किया कर सकता है । भगवान के आगे किसकी चली है ? औरत ही औरत का दुख समझ सकती है । धीरे – धीरे सब ठीक हो जाएगा । गंगा- आप महान है मालकिन । आपकी सहानिभूति मैं जिंदगी भर याद रखूंगी (उसी समय राजू का कंधे पर बैग लेकर प्रवेश ) राजू – (प्रणाम करते हुए) प्रणाम माँ , ए कौन है माँ । आरती – जीते रहो बेटा , ये तुम्हारे अनुपम चाचा की पत्नी है गंगा, और गंगा ये मेरा बेटा है राजू । गंगा- नमस्ते छोटे सरकार । राजू- आप ये किया कर रहे है, मैं तो आपके बेटे के समान हु। आरती – चल बेटा तुम थक गाया होगा चलो बैठ कर आराम से बाते करना । राजू- चलो माँ ।
(दोनों का प्रस्थान)
Film script || हिंदी फ़िल्म स्क्रिप्ट
Seen No.- 4
आने जाने का रास्ता ,
(जेब मे हाथ डाल कर ) लो मेरी खैनी का डब्बा न जाने किधर गिर गया । ओह्ह कितना मुश्किल से मैंने डब्बा ली थी। खैनी भी उतना महंगा था । वाह रे जमाना । खैनी की कीमत कितना हो गया है । फिर भी लोग खाना नही छोड़ते ।(इधर उधर देखता है) ओह… कितना मुश्किल से मैंने पांच रुपये की खैनी ली थी, खाया तक नही। (उसी समय मुरारी का खैनी मलते हुए प्रवेश)
मुरारी- वाह रे दोस्त वाह (गौर से देखते हुए) अरे उदास कियु हो ? किया तुम्हारी बीबी ने फिर आज झार दी । मर जाओगे यार । इसी लिए मैन कहा था शादी वादी के चक्कर मे मत परो ।
त्रिपुरारी- अरे छोर यार । उसकी किया मजाल जो मुझे झार दे , मुरारी- तो फिर तुम्हारे चेहरे पर 12 कियु बज रहा है । त्रिपुरी- किया बताऊ यार? मैं कितना मुश्किल से अपनी बीबी से खैनी के लिए 10 रुपये मंगा था और सारी की सारी खैनी भुला बैठा । अब तो बीबी पैसे नही देगी ।
मुरारी- छोर यार । मैं किस दिन काम आऊंगा ? मैं तुम्हे खैनी दूंगा। त्रिपुरारी- तो फिर देर किस बात का । बन जाये ठोक ठाक कर । मुरारी- (खैनी मलते हुए) अस्सी चुटकी नब्बे ताल रगड़ के खैनी मुह में डाल। (दोनों खैनी खाता है) अखबारवाला का आना) आज का ताजा समाचार । भारी संख्या में पुलिश की बहाली । मुरारी- अरे वाह । मैं जरूर पुलिस बनूँगा । चल यारा हम आज ही फॉर्म खरीदेंगे। त्रिपुरारी- हा यार जरूर बनेंगे। हम दोनों को तो लठ में महारत हासिल है। दौर भी जाऊंगा , कूद भी जाऊंगा । गबरू जवान हु ।
SEEN NO. 5 Film script || हिंदी फ़िल्म स्क्रिप्ट
स्थान- सेठ कालीचरण की हवेली
[ सेठ काली चरण एक कुरसी पर बैठा है सिगरेट का कस ली रहा है और राहुल पत्रिका पढ़ रहा है आरती बगल में बैठी है वही मुंसी कुछ डायरी उलट पुलट कर रही है ]कालीचरण- मुंशी जी इतना कियु परेशान दिख रहे है ? कहे किया बात है ।
मुंशी – नही सरकार मैं परेशान कहा हु। थोड़ा हिसाब देख रहा था। कालीचरण- कहिये बिजनेस का किया हाल है ? मुंशी- ( आंख नाचा कर ) सरकार बिजनेस में तो दिन दो गुनी रात चो गुनी फायदा हो रहा है । कालीचरण – मुंसी जी ! जब से आपने मेरी खाता बही संभाली है । तब से नुकसान सब्द सुनाने को नही मिला है । मुंशी- (चस्मा ठीक करते हुए) इसमें मैंने किया कया है सरकार, सब ऊपरवाले की किरपा है जिस देता हूं छप्पर फार कर देता है। ( उसी समय गंगा का चाय लिए प्रवेश सबको चाय देते हुए) मुंशी- चाय की चुस्की लेते हुए ) वाह गंगा किया चाय बनाई है । इसका स्वाद भुलाये न भूले । आरती- ( खुशी से) हा मुंशी जी । गंगा सब कुछ अच्छी बनाती है । राजू- मुंसी जी आंटी के बनाया हुआ खाना भी हाथ चाट कर खाता हूं । ( खाली कप उठा कर गंगा जाना चाहती है तो सारी टेबल पर फस जाती है और गिर जाती है खून बहने लगती है)
गंगा- आह। अहह ( दर्द से करहाते हुए)
आरती- गंगा के पास जाते हुए) – अरे ये तो जख्मी है और इसके पैर से खून बह रहा है। राजू- हा मा ये तो बहुत जख्मी हो गई है । आरती – मुंशी जी ले कर चलिए डॉक्टर के पास । कालीचरण – रुकिए मुंशी जी गंगा को मामूली सी चोट आई है ठीक हो जाएगी । आप लोग इतना कियु परेशान हो रहे है।
आरती -आप ये किया बोल रहे है , किसी का दुख को आप कियु नही समझते ? कालीचरण-ज्यादा हमदर्दी जताने की कोई जरूरत नही डॉक्टर किया फ्री में आएगा। मेरे पास इतना पैसा नही है कि युही फेकता रहु । राजू- पिता जी आंटी का इलाज कराना जरूरी है । कालीचरण – बेटा अभी तुम नादान हो पैसा कमाने में कितना मेहनत पड़ता है सो तुम्हे मालूम नही है। आरती – मैं मानती हूं पैसे मेहनत से आती है पर हमारा भी तो फर्ज है कि हम इसको सुख दुख में साथ दे , आखिर ये भी तो इस घर की सदस्य है । इसका साथ हम नही देंगे तो कौन देगा। कालीचरण – (गुस्से) आरती ! मैं जितना कहता हूं उतना सुना करो मेरे सामने ज्यादा चोचला चलाने की जरूरत नही है समझी की नही समझी।
मुंशी-( चापलूसी करते हुए) मालकिन ! सरकार को ज्यादा गुस्सा मत दिलाये । सरकार ठीक कह रहे है। गंगा- मैं ठीक हु मालकिन । आप मेरी चिंता ना करें ।
Dont halloo till you are out of the wood.
The wood will renew the foliage it sheds.
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