
क्रांतिकारी छेदी राम मंडल ( भोलेंटियर)
भारत सदा वीरों को जन्म देने वाली भूमि रही है भारतीय भूमि पर ऐसे अनेक वीर सपूत हुए हैं जो दुनिया के बटन पर अपना महान पहचान छोड़ा है दुनिया का मार्गदर्शन और पथ प्रदर्शक के रूप में निकल कर सामने आए हैं हजारों हजार ऐसे लोग हुए हैं जो भारत को स्वतंत्रता दिलाने में अपने प्राणों की आहुति दे दी ऐसे बहुत से वीर और वीरांगनाओं इस देश में जन्म लिए हैं जो आजादी के दीवाने हो गए और अपने आजादी के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया उन्हीं में से एक महान वीर जुनूनी आजादी के दीवाने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में एक सदा तिरंगा को सम्मान के साथ लेकर आगे बढ़ने वाले वीर सपूत छेदी रामपाल एनटीआर का जीवनी एक बार हम आपको बताने का प्रयास कर रहे हैं पूरे पोस्ट को अंत तक पड़ेगा तब आपको समझ में आएगा कि क्या थे श्रीरामपुर इंटीरियर
1906 ईस्वी में ग्राम बाबूपुर प्रखंड पीरपैंती जिला भागलपुर जो उसमें अविभाजित बिहार के रूप में जाना गया था नामक गांव में बुलाय मंडल के घर में छेदी राम मंडल भोलेंटियर का जन्म हुआ था।लोग बताते हैं कि यह बालक जन्म से ही क्रांतिकारी के जुनून के साथ आगे बढ़ाता है उनके बारे में बताया जाता है कि अभी पढ़े लिखे नहीं थे इसके बावजूद भी वह आजादी के दीवाने और आजादी क्या होती है इसे भली-भांति समझते थे और फिर अपना घर द्वार छोड़कर निकल पड़े देश को आजाद कराने के लिए छेदी राम मूलतः नरमपंथी और गांधीवादी विचारधारा के समर्थक थे हमेशा तिरंगे को आगे लेकर चलने वाले क्रांतिवीर के रूप में अपनी पहचान बनाई।
सुभाष चंद्र बोस उसे मुलाकात
झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला हमेशा वीर और क्रांतिकारियों को जन्म देने वाला जिला और जन्मस्थली ग्रुप में जाना जाता है इस जिले में पहाड़िया आंदोलन संथाल आंदोलन छेदी राम का आंदोलन वीर सिद्धू कानू चांद भैरव इत्यादि की कथाएं इस बात को साबित करती है प्रत्यक्षदर्शियों से प्रमाण मिलती है कि साहिबगंज जिले के ऐतिहासिक स्थल सकरीगली में छेदी राम का मुलाकात आजाद हिंद फौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस से हुआ और साहिबगंज जिला का पहला नागरिक छेदी राम ने सुभाष चंद्र बोस को देश की आजादी के लिए खून से हस्ताक्षर करके एक पत्र सौंपा और वचन दिया कि हर समय आपके पद चिन्हों पर चलकर देश के लिए अंतिम सांस तक आजादी के लिए लड़ता रहूंगा ।
1925 मैं अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध भारत में काकोरी नामक कांड हुआ इस कांड में अंग्रेजी हुकूमत के संपत्ति को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनकारियों और क्रांतिकारियों के द्वारा लूट लिया गया कहते हैं कि इस घटना का प्रभाव छेदी राम पर इस कदर पड़ा की यह आदमी भी साहिबगंज जिला के तेलिया गढ़ी नामक स्थान पर
अपने साथियों के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खजाना लूटने का काम किया ताकि जन बल के साथ धनबल लगाकर और अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने का काम और तीव्र किया जाए बताया जाता है कि तेलिया गढ़ खजाना लूट के बाद से अंग्रेजी फौज इनको खोजने लगी और छेदी राम अपने पूरे दलबल के साथ सिमुलतला झील के जल में छुप गए बताया जाता है कि हुकूमत के सिपाही इन्हें देख नहीं ले इसलिए झील के जल के अंदर पपीता के डांटी मुँह में लगाकर जल में छुप गए ताकि सर्च अभियान में पता नहीं लग सके इस प्रकार इनकी लड़ाई लगातार देश आजादी के लिए चलती रहे।
छेदी राम आजादी के इतने बड़े दीवाने थे कि बिना किसी के परिवार के सदस्य के बिना हर सुबह अपने तिरंगे को लेकर निकल पड़ते थे देश के आजादी के लिए उन्होंने जो सपना देखा था उस सपना के साथ हमेशा वह जीते रहे।
छेदी राम भारत को आजाद कराने वाले एक ऐसे क्रांतिकारी और आजादी के दीवाने थे जिन्हें देश दुनिया बहुत नहीं जानती वह गुमनाम रहे और आजादी की जुनून के लिए सारा जीवन लगा दिया झारखंड की माटी ऐसे आजादी के सिपाहियों की गवाह रही है जरूरत है इनकी कहानी को और आगे बढ़ाने का कोई इनके साथ आंदोलन के मित्र भी रहे हैं जिनमें लखन मुरमू गंगो पहाड़िया प्रोफेसर सकलदीप मंडल छेदी राम ताप्ती, रमणी डॉक्टर गजाधर यादव गोंडा जिला सीताराम गॉड भगवान चौधरी लखनलाल दाती द्वारिका प्रसाद मिश्र श्रीमती शारदा देवी भूप नारायण सिंह कुछ ऐसे नाम जो हमेशा छेदी राम के आंदोलन के सिपाही के रूप में काम कर रहे थे।
लोगों के द्वारा यह भी बताया जाता है कि साहिबगंज जिला मुख्यालय में लगा हुआ अंग्रेजी हुकूमत के झंडा को उखाड़ कर फेंक कर उसके स्थान पर भारतीय तिरंगा को लहरा कर इनके द्वारा अपना इरादा स्पष्ट कर दिया गया था कि हम आजादी के दीवाने पीछे नहीं रहने वाले हैं।
छेदी राम अशिक्षित होते हुए भी दूरदर्शी और आने वाले समय में दुनिया किस और जाएगी को भविष्य के रूप में देखते थे । उन्होंने अपने आंदोलन के क्रम में कहा था कि एक ऐसा समय आएगा जब चावल बोतल में भरकर बेचा जाएगा कोस कोस पर दीप जलेगा। अगर आज हम 21वीं सदी में उनकी बातों को गौर से देखें तो उनकी भविष्यवाणी लगभग लगभग सत्य हो रही है।
11 जनवरी 1966 जिला कांग्रेस कार्यालय साहिबगंज में छेदी राम अंतिम सांस लिया अखाड़ा वीरगति को प्राप्त हुआ यहां के बाद हम अपने वीर योद्धा को हमेशा के लिए खो दिए उन्हीं की याद में साहिबगंज जिला के महाविद्यालय और उनके दूसरे घर के गांव बड़ी कोदर्जन्ना में उनकी प्रतिमा स्थापित की गई जहां पर प्रतियेक साल 11 जनवरी को बहुत ही धूमधाम से उनकी जयंती मनाई जाती है दोस्तों हमें छेदी राम मंडल भोलेंटियर को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में पहचान बनाने वाले के लिए काम करने की आवश्यकता है कैसे कोई इतना बड़ा काम करने के बाद भी गुमनामी का शिकार हो जाए अपने जीवन को अपने घर परिवार में नहीं लगाकर देश की आजादी में लगा देने वाले एक छोटे से कद वाला हमेशा हाफ पैंट कुर्ता पैर में जूता दाहिने हाथ और कंधे पर दिन भर तिरंगा को लहराते हुए अंग्रेजी हुकूमत का ईट से ईट बजाने वाला साहिबगंज जिला के गली गली घर घर गांव गांव नदी पहाड़ पर्वत जंगलों सभी जगह पर लोगों के बीच जाना और देश के आजादी के लिए लोगों को जगाने वाला वीर सपूत के नामों को हमें प्रबलता और प्रमुखता के साथ आगे बढ़ाना होगा छेदी राम के पद चिन्हों को हमेशा तरोताजा रखना होगा क्योंकि कहते हैं ना कि हम दीवानों के क्या की क्या हस्ती बिना जय जयकार नहीं होती कोशिश करने वालों के कभी हार नहीं होती लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती असफलता एक चुनौती है इसे स्वीकार करो क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो दोस्तों आज हम आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे हैं और फिर इस महोत्सव में हमारा एक आजादी का दीवाना हमारा एक आजादी का सिपाही गुमनामी का शिकार हो जाए तो फिर हमारा महोत्सव आनंददाई नहीं होगा ।
इसलिए एक बार जरूर आप छेदी राम क्या क्यों और कौन थे पर जरूर सोचिए गा और सोच कर अपनी बातों को उनकी विचारधारा और आजादी के महत्व के साथ जोड़कर देखिएगा जरूर आपको लगेगा कि उनके साथ गुलाम भारत से लेकर स्वतंत्र भारत तक अभी न्याय होना बाकी है हम कहे कि छेदी राम जैसे क्रांतिकारियों को वास्तविक आजादी अब तक नहीं मिली है हम अपने इस लेख के माध्यम से वीर् छेदी राम के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और जितने लोग इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं सभी से एक प्रश्न की क्या उन्हें न्याय मिलना चाहिए या नहीं।